कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा चुनाव लड़ने से इनकार किया —
क्या हैं पृष्ठभूमि और कारण?
जम्मू व कश्मीर, 13 अक्टूबर 2025 — जम्मू-कश्मीर कांग्रेस ने 24 अक्टूबर को होने वाले चार राज्यसभा (Rajya
Sabha) सीटों के चुनाव में भाग न लेने का निर्णय लिया है। कांग्रेस का कहना है कि उसके गठबंधन सहयोगी
नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने उसे “सुरक्षित सीट” (safe seat) देने से इनकार किया, जिसकी वजह से राज्यसभा
चुनाव लड़ना व्यावहारिक नहीं माना गया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने मीडिया को बताया कि यह फैसला एक लंबी चर्चा और रणनीतिक
विचार-विमर्श के बाद लिया गया। उन्होंने कहा कि बैठक में गठबंधन के कामकाज, राज्यसभा चुनाव रणनीति,
और बडगाम व नगरोटा विधानसभा सीटों के उपचुनाव जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार हुआ।
प्रमुख बिंदु और तर्क
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“सुरक्षित सीट” की मांग
कांग्रेस नेतृत्व ने दो अलग-अलग सीटों (seat 1 या seat 2) में से किसी एक को चाहा था, लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि NC ने उन्हें चौथी सीट (seat number 4) ऑफर की जो “संयुक्त नोटिफिकेशन” के अंतर्गत है, और जिसे कांग्रेस की ओर से असुरक्षित माना गया।“सुरक्षित सीट हमें नहीं दी गई, इसलिए हम चौथे नंबर की सीट पर चुनाव नहीं लड़ेंगे।”
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संयुक्त vs. पृथक सीट चुनौतियाँ
कांग्रेस का तर्क है कि यदि उन्हें अलग से होने वाली सीट दी जाती — जो अन्य सीटों की तुलना में अधिक निर्बाध हो — तो पार्टी की भागीदारी अधिक स्वाभाविक होती। लेकिन वह सीट जो NC ने दी, वह संयुक्त मतदान के अंतर्गत आती है और अधिक जटिल व विवादास्पद मानी गई। -
गठबंधन में दरार?
कर्रा ने संकेत दिए हैं कि कांग्रेस नेताओं ने governance और प्रशासनिक मुद्दों पर कुछ आपत्तियाँ उठाईं, और उन सबको बैठक में सामने रखा गया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव “आज की बैठक” का मुख्य विषय था, लेकिन गठबंधन की खामियों और सहयोगी रवैये पर भी विचार हुआ।इस फैसले के बाद विरोधी दलों के बीच आपसी रुझान और एकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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उपचुनाव और अन्य चुनावी समीकरण
कांग्रेस के नेता यह बताना चाह रहे हैं कि राज्यसभा चुनाव का निर्णय केवल सीट-दान के विवाद तक सीमित नहीं था — बडगाम और नगरोटा उपचुनावों की रणनीति, विधानसभा में गठबंधन समीकरण, और आगामी राजनीतिक समीकरणों को भी ध्यान में रखा गया।
संभावित राजनीतिक निहितार्थ
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गठबंधन पर दबाव
कांग्रेस के इस कदम से NC-कांग्रेस गठबंधन की मजबूती पर सवाल उठने लगे हैं — एक तरफ़ कांग्रेस यह कह रही है कि वह गठबंधन की लॉयल्टी निभाना चाहती है, दूसरी ओर NC की “सेट ऑफर नीति” ने रिश्तों को जकड़ कर रखा है। -
राज्यसभा सीटों की रणनीति बदल सकती है
NC ने पहले ही अपने तीन उम्मीदवारों को घोषित किया है और अपनी विधानसभा ताकत का रुझान दिखाया है कि वह तीन सीटें आसानी से जीत सकती है। लेकिन चौथा सीट—जिस पर कांग्रेस की भागीदारी होनी थी—उसका मुकाबला अधिक खड़ा होगा। -
चुनावी संदेश
कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह सिर्फ नारे नहीं लगाती, बल्कि यदि रणनीतिक रूप से सुरक्षित प्रस्ताव न हो, तो कदम पीछे खींचने को तैयार है। यह एक “राजनीतिक स्वाभिमान” का संकेत भी माना जा सकता है। -
भविष्य की राजनीति पर असर
यदि कांग्रेस समय-समय पर इस तरह की रणनीति अपनाती रही, तो जम्मू-कश्मीर की राजनीति में उसकी भूमिका और उसके गठबंधन सहयोगियों के बीच संतुलन बदल सकता है।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस का राज्यसभा चुनाव न लड़ने का फैसला सिर्फ “सुरक्षित सीट” की मांग तक सीमित नहीं है,
बल्कि यह गठबंधन राजनीति की जटिलताओं और अंदरूनी असंतोष को भी उजागर करता है। कांग्रेस यह
दिखाना चाहती है कि वह किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगी, खासकर तब जब उसके गठबंधन सहयोगी
उसकी राजनीतिक गरिमा या हितों की अनदेखी करें।
इस फैसले से साफ है कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच मतभेद बढ़ सकते हैं, जो आने वाले विधानसभा
उपचुनावों और भविष्य की रणनीतियों को भी प्रभावित कर सकते हैं। अब देखना यह होगा कि क्या दोनों दल इस
मतभेद को सुलझाकर गठबंधन को मजबूत बनाए रखते हैं या जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नए समीकरण बनने
शुरू हो जाते हैं।